Monday 22 August 2011

बदल गये अब नयन तुम्हारे - नीरज

बदल गये अब नयन तुम्हारे ||

साथ साथ चले हम डगर पर
में रो रोकर तुम हंस हंसकर
लिए गोद में किन्तु न तुमने मेरे अश्रु विचारे |
बदल गये अब नयन तुम्हारे ||

जिनमे स्नेह-सिंधु लहराया
प्रीति भरा काजल मुस्काया
देखे उनमे आज घृणा के धधक रहे अंगारे ||
बदल गये अब नयन तुम्हारे ||

सोच रहा मैं एकाकी मन
कितना कठिन प्रेम का बन्धन
वहीं गये हर बार जहाँ हम जीती बाजी हारे ||
बदल गये अब नयन तुम्हारे ||

No comments:

Post a Comment